पछताओगे तुम, रुसवाईयां करोगे
पछताओगे तुम, रुसवाईयां करोगे
गर छोड दिया हमने तेरी गलियों मे आना कभी
तुझसे मुश्ते-मोहब्बत मांगी थी, कोई कोहिनूर नहीं
बस तेरे दीदार की दरकार थी चश्मेतर को कभी
भर गये पांव आबलो से पुखरारों पर चलकर
सारे घाव भर जाते ग़र मलहम लगा देते कभी
यूं इकरार ए इश्क मे तू ताखीर न कर
चले गये जो इकबार, फिर ना आयेंगे कभी
घुल जाये तेरी रोशनी में रंगे-रूह मेरी
ग़र जल जाये मेरी महफिल में शम्मा ए इश्क कभी
ग़र जल जाये मेरी महफिल में शम्मा ए इश्क कभी…….waah….aameen !!
shukriya
The answer of an exrpte. Good to hear from you.
Good
घुल जाये तेरी रोशनी में रंगे-रूह मेरी
ग़र जल जाये मेरी महफिल में शम्मा ए इश्क कभी
Waah waah