पराई
दिल से अपनी मगर धकड़न से मैं पराई हूँ,
न जाने किस घड़ी में, इस घर में मैं आई हूँ,
आँखों ही आँखों में आँखों में मैं घिर आई हूँ,
सबकी अपनी मगर न जाने कैसे मैं पराई हूँ।।
राही अंजाना
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देवेश साखरे 'देव' - November 23, 2019, 6:43 pm
वाह
राही अंजाना - November 24, 2019, 12:51 pm
धन्यवद
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 23, 2019, 7:20 pm
सुंदर
राही अंजाना - November 24, 2019, 12:51 pm
धन्यवद
Abhishek kumar - November 23, 2019, 10:08 pm
मस्त
राही अंजाना - November 24, 2019, 12:51 pm
धन्यवस्ड
Abhishek kumar - November 24, 2019, 8:15 pm
वेलकम
nitu kandera - November 23, 2019, 11:01 pm
Nice
राही अंजाना - November 24, 2019, 12:51 pm
धन्यवाद
Neha - November 24, 2019, 7:51 pm
Wah
राही अंजाना - November 24, 2019, 7:58 pm
धन्यवद
Pragya Shukla - February 29, 2020, 5:02 pm
Good