फाग

सुमधुर ध्वनि मुखरित है होली के राग का।
लो आ गया भैया महीना रंग बिरंगी फाग का।।
धरती भी रंगीन है
अम्बर भी रंगीन है।
नवल कुसुम संग पत्र नवल है
सुरभित जगत नवीन है।।
नफरत की होलिका जला विनयचंद
प्रेम प्रज्वलित आग का।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close