“बरसात” #2Linerr-81
ღღ__बिन मौसम बरसात यूँ, जला रही है मुझको “साहब”;
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जैसे शमाँ जलाती है, अपने परवाने को बुला के पास!!….#अक्स
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Pragya Shukla - April 19, 2021, 12:34 pm
क्या बात है बहुत ही सुंदर लिखा है आपने