Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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धरती माता
धरती माता ! धरती माता ! करूँ माँ कैसे मैं तेरा गुणगान, आज तो निकली जा रही है सबके प्राण | आज हर शै की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
खुशहाली
अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार खुशहाली वह दीप है यारों ,हर कोई जलाना चाहता…
पर्यावरण है धरा का आभूषण ,इसको खूब सजाओ
पर्यावरण है जीवन हम सब का ,आओ इसका सम्मान करें क्यों बिगड़ रहे हालात ,इस बात का ध्यान करें हरियाली क्यों ख़त्म हो रही ,धधक…
जय शिवशंकर गौरीशंकर
जय शिवशंकर गौरीशंकर पार्वतीशिव हरे-हरे (2) रामसखा प्रभु राम के स्वामी, विष्णुवल्लभ भोलेनाथ । जय शिवशंकर गौरीशंकर, पार्वतीशिव हरे-हरे (2) ।।1।। कैलाशपति प्रभु औढ़रदानी, नीलकंठ…
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