Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
न्याय बीमार पड़ी है, कानून की आँख में पानी है
अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं भारत की बेटी पर। रो-रो कर चढ़ रही बिचारी एक-एक करके वेदी पर ।। भिलाई से लेकर दिल्ली…
श्रधांजलि
आवो ! हम सब नमन करें भारत के वीर सपूतो का ! जिनने आज़ादी के हवन कुंड में अपना सब कुछ होम दिया आवो !…
सैनिक बनने का दम भरता है
सूनी- सूनी सङको पर सैनिक बनने का दम भरता है । सेना में भर्ती होने का हर जन में स्वप्न सलौना पलता है ।। तात…
प्रतिभाओं का धनी
???????? ————————- प्रतिभाओं का धनी ————————— सत्य-बोध के मूल-बीज को प्रकृति ने स्वयं निखारा है प्रतिभाओं का धनी आदि से भारत-वर्ष हमारा है …
एक अनार सौ बीमार बेहद गंभीर रचना पाण्डेय जी बहुत खूब
सादर धन्यवाद
लाजवाब, बहुत खूब
धन्यवाद
वाह वाह
धन्यवाद जी
आज के परिप्रेक्ष्य को दर्शाती बहुत सुंदर रचना है….एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितर्थ होती दिखाई भी दे रही है । बहुत सुंदर
सादर धन्यवाद
सुन्दर
आभार जी
nice
धन्यवाद जी
यथार्थ को प्रदर्शित करती हुई सुंदर रचना आजकल यही हो रहा है युवा करे भी क्या पढ़ा लिखा तो है डिग्रियां तो है मगर नौकरी नहीं सरकार का ध्यान इस तरफ जाता ही नहीं हुआ तो गंदी राजनीति करने में लगी हुई है
Thanks