भगवान की लीला
हास्य- कविता
सत्य – नारायण जी की पूजा थी,
शर्मा जी के धाम।
गुप्ता जी भी पहुंच गए,
छोड़ के सारे काम।
आरती के समय सामने,
जब थाली आई,
डाला दस रुपए का फटा नोट,
लोगों से नजर बचाई।
भीड़ ज़रा कुछ ज़्यादा थी,
अब निकालने को आमादा थी।
तभी पीछे से एक आंटी ने,
उनका कंधा थपथपाया।
और गुप्ता जी को ,
2000 का कड़क नोट थमाया।
गुप्ता जी ने हाथ जोड़,
थाली में नोट चढ़ाया।
प्रशाद ले अपना कदम भी,
घर की ओर बढ़ाया ।
देख के ये सारी घटना,
आंटी थोड़ी सी मुस्कुराई।
केवल दस का नोट चढ़ाने पर,
गुप्ता जी को थोड़ी लज्जा भी आई।
बाहर निकल कर आंटी ने,
गुप्ता जी को बतलाया..
दस का नोट निकलते वक्त ,
तुमने 2000 का नीचे गिराया
वो ही नोट था मैनें तुम्हे थमाया।
यह सुनकर गुप्ता जी को,
चक्कर आ रहे हैं।
कल से अब तक गुप्ता जी कुछ नहींं खा रहे हैं।
Nice, you are great poet
Thank you very much for your pricious complement 🙏💐
बढ़िया, बहुत सुंदर
बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
हास्य रस से परिपूर्ण इस सुन्दर कविता ने चेहरे पर मुस्कान ला दी। आप तो हास्य कविता में भी परिपूर्ण हैं, वाह
धन्यवाद जी 🙏 मेरी रचना से आपको हंसी आई, मेरा प्रयास सफल रहा।
बहुत खूब, बहुत ही सुन्दर हास से परिपूर्ण कविता की सहजता से रचना की गई है। बेहतरीन
बहुत सारा धन्यवाद जी 🙏 यदि आपको तनिक भी हंसी आई हो तो मेरा हास्य रचना लिखने का प्रयास सफल रहा। आपकी समीक्षा वास्तव में उत्साह वर्धन करती हैं।
बहुत सुंदर मैम
शुरू से लेकर अन्त तक रोचकता बनी रही,
हास्य के साथ -साथ लालच न करने की भी सीख के सुन्दर भाव
अगर अन्त की पंक्तियों में थोड़ा ऐसे होता
—->
“यह सुनकर गुप्ता जी को,
ज़ोर से चक्कर आया,
कल से अब तक गुप्ता जी ने कुछ भी नहींं खाया।”
और भी अच्छी तुकबंदी बन जाती।
बाकी सब बहुत सुंदर
सुन्दर समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
अतिसुंदर
धन्यवाद जी
खोटा लाओ
खरा बनाओ
भगवान की थाली ऐसी है।
भाव अगर हो
खोटा जिसकी
जीवन करताली जैसी है।।
वाह बहना तूने कमाल कर दीत्ती। अतिसुंदर रचना
🙂 बहुत बहुत आभार सहित धन्यवाद आपका भाई जी।
इतनी सुंदर समीक्षा….🙏🙏आप सच में उत्साह बढ़ा रहे हैं।
बहुत खूब, बहुत सुन्दर
सादर आभार एवं धन्यवाद आपका सर 🙏
Nice जी
Thank you Piyush ji 🙏
Very nice
Thank you chandra ji 🙏