Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कविता- तेरी महिमा न्यारी
महिला दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए | कविता- तेरी महिमा न्यारी हे नारी महिमा तेरी न्यारी तुझसे है जग सारी | प्यार द्या दान…
वाणी
मानव का गहना है वाणी, वाणी का भोगी है प्राणी । मधुर वचन है मीठी खीर, कटु वचन है चुभता तीर । सद वचन है…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
Very nice line
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
Very nice
बहुत सारा धन्यवाद जी
बहुत सुंदर
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर भाव
सादर नमस्कार जी
बहुत ही सुंदर
बहुत धन्यवाद
बहुत ख़ूबसूरत रचना है मित्रता पर ।अतिसुंदर भावनाएं ।
मित्रता पर इतनी अनूठी रचना आपकी विलक्षण प्रतिभा को दर्शाती है…लेखनी को प्रणाम ।🙏🙏
बहुत ही सुंदर समीक्षा, आपको हार्दिक अभिवादन , इतनी सुंदर समीक्षा शक्ति को प्रणाम। धन्यवाद गीता जी
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद सुमन जी
बहुत खूब पाण्डेय जी
सादर नमस्कार
बहुत ही बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद