मैं हिन्दी
हिन्द भाषाओं का सागर है l
मैं हिन्दी उसमें से एक हूँ , उद्भव मेरी संस्कृत से है l
हिन्द की सारी भाषाओं में भाईचारा था l
अंग्रेजी ने हमें स्वार्थ के लिए बांटा था l
मेरे संस्कार ने आजादी की चिंगारी डाला था l
फिर क्या था मैं इतिहास रचने निकल पड़ा था l
हिंद की कड़ी बनी, शंखनाद किया आजादी का l
मैंने जुल्मों सितम सहा, पर अडिग रहा l
आजादी का मंत्र हिंद के जनमानस में फूंका l
ऐसे मैंने आजादी का इतिहास रचा l
राष्ट्रभाषा का मुझे सम्मान मिला l
मैंने ही संविधान रचा,फिर भी कुछ ने मुझे ठुकराया l
अंग्रेजी ने अहंकार रूपी बीज जो बोया था l
मैंने हर भाषा को अपनाया, समानता का अधिकार दिया l
मैंने ही भेदभाव की जंजीरे तोड़ा, पर मुझे ही धर्म से तोला गया l
वर्षों से आस लगाए बैठा कभी तो मुझे अपनाओगे l
सारे बैर भुला राष्ट्रहित के लिए गले लगाओगे l
Rajiv Mahali
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Master sahab - September 14, 2020, 2:41 pm
बहुत रोचक तथ्य उजागर किए हैं आपने
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:34 pm
Thank you
Suman Kumari - September 14, 2020, 2:49 pm
सुन्दर अभिव्यक्ति
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:34 pm
Thank you
Geeta kumari - September 14, 2020, 2:56 pm
राष्ट्र हित का संदेश देती हुई बहुत सुंदर रचना।
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:34 pm
Thank you
Pragya Shukla - September 14, 2020, 3:56 pm
Beutiful poem
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:35 pm
Thank you
Satish Pandey - September 14, 2020, 4:37 pm
हिन्दी दिवस पर खूबसूरत रचना, हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:35 pm
Satish ji thank you
vivek singhal - September 14, 2020, 5:22 pm
अति सुंदर
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:35 pm
Thank you
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - September 14, 2020, 8:38 pm
सुंदर
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:35 pm
Thank you
प्रतिमा चौधरी - September 14, 2020, 8:43 pm
बहुत सुंदर पंक्तियां
Rajiv Mahali - September 15, 2020, 1:36 pm
Thank you