रचना की समीक्षा
रची जाती यहां, प्यारी-प्यारी रचनाऐं
मन के भावों को दर्शाती
सामाजिक मुद्दों पर जागरूक कराती
संस्कृति का दर्शन करवाती
मन को आनंदित कर जाती
रचनाओं उपरांत, समीक्षा पढ़ने की बारी आती
जिसमे समीक्षकों की भिन्न सोच दिखाई देती
तो रचनाओं की गहराई जान पाती
जो आनंद को दोगुना कर देती
मैं भाव-विभोर हो जाती।
कवि की सबसे बड़ी पूंजी सराहना ही है एक अच्छी सराहना से मन प्रफुल्लित हो उठता है
Well said
सही बात है अनु जी….समीक्षा बिन कविता फीकी लगती है जैसे कि बिन श्रृंगार के दुल्हन…
Well said
👍
आप सब बहुत सुन्दर समीक्षा करते हो धीरे धीरे मै भी अच्छा लिखना और समीक्षा करना आप सब से सीख लूँगी।
अतिसुंदर रचना
धन्यवाद
बहुत सुंदर
धन्यवाद