राम
पृथ्वी के कण-कण में देखो एक राम समाये थे,
मन के पावन मंदिर में सबने एक राम बसाये थे,
छोड़ राज पाठ घर से जब जंगल में वो आये थे,
चौदह वर्ष संघर्षों का जीवन एक राम बिताये थे,
सीताजी से मिलने हनुमत लंका में घुस आये थे,
छोटी सी मुद्रिका में माता को एक राम दिखाए थे,
पुल पर कदम बढ़ाने में सब असक्षम हो आये थे,
राम नाम लिख पत्थर गंगा में एक राम बहाये थे,
साधारण दिखते थे पर असाधारण कहलाये थे,
राम ने स्वयं ही समुद्र किनारे एक राम बनाये थे,
अधर्म मिटाने धर्म पथ वो मानव रूप में आये थे,
राम राज़ जब लाये स्वयं वो एक राम मिटाये थे।।
राही अंजाना
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 9, 2019, 7:12 pm
जय श्री राम
राही अंजाना - November 9, 2019, 8:36 pm
धन्यवाद
Neha - November 9, 2019, 8:39 pm
वाह
Neha - November 9, 2019, 8:39 pm
वाह
राही अंजाना - November 9, 2019, 10:01 pm
धन्यवाद
देवेश साखरे 'देव' - November 9, 2019, 9:44 pm
Nice
राही अंजाना - November 9, 2019, 10:01 pm
धन्यवाद
NIMISHA SINGHAL - November 9, 2019, 11:54 pm
Ram he Ram
राही अंजाना - November 10, 2019, 8:42 am
राम
Panna - November 10, 2019, 11:45 am
बहुत खूब
राही अंजाना - November 10, 2019, 6:57 pm
Thanks
nitu kandera - November 11, 2019, 8:21 am
Wah
राही अंजाना - November 11, 2019, 11:44 am
धन्यवाद
Abhishek kumar - November 24, 2019, 9:43 am
जय हो
राही अंजाना - November 24, 2019, 7:41 pm
धन्य
Pragya Shukla - February 29, 2020, 5:55 pm
Good