वहि घरका ना जाउ कबहुँ
वहि घरका ना जाउ कबहुं
जहां ना होइ सम्मान
नीके जहां कोइ नाइ मिलइ
हुंआँ जाइते हइ अपमान
रूखी-सुखी खाइ लेउ
बढ़िया व्यंजन छोड़ि
प्रेम की छूड़ी रोटी
छप्पनभोग सि बढ़िया होइ
आधी राति का आवेते
घरवाली होति हइ दिक्क
तउ जल्दी घर जावै लगउ
नइ रातिक होई खिटि-पिट्टी ।
👌👌👏👏 बहुत नीक मज़ा आइ गा
Thanks
वेलकम
निम्मन रचना
धन्यवाद आपका हौसलाफजाई के लिए 🙏🙏
वाह
धन्यवाद
बहुत बढ़िया