विनम्रता की पराकाष्ठा

मां और पत्नी दोनों गुरू,
दोनों से नव-जीवन शुरू।
मां कहे , पत्नी सिखाती,
पत्नी कहे, मां सिखाती ।
विनम्रता की पराकाष्ठा देखो,
सिखाने का श्रेय एक-दूजे को दिलाती
✍️…गीता

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Responses

  1. और साहस की बात यह भी है कि उन दोनों के सीखाएं गए ज्ञान को पचाना बड़ा मुश्किल हो जाता है बेटे को।
    बहुत ही निष्पक्षता की आवश्यकता होती है इस ज्ञान के लिए 😊😊😁
    बहुत ही बेहतरीन हास्य व्यंग कविता

  2. इस तरह की आदर्श स्थिति प्रस्तुत करने हेतु आपकी लेखनी की जितनी तारीफ की जाये वह कम है। जहां ऐसा है वहां वास्तव में स्नेह-प्रेम की व्यापकता रहती है।
    बहुत खूब

    1. इतनी सटीक समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका सतीश जी 🙏🙏….आप मेरे लेखन में सच में बहुत उत्साह वर्धन करते हैं।
      बहुत बहुत आभार

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