ღღ__बहुत खामोश रहते हो, तुम भी आज-कल “साहब”‘;
.
ख़ुदा से है शिकायत या, खुदी से नाराज़ रहते हो !!…..#अक्स
.
Categories: शेर-ओ-शायरी
Ankit Bhadouria
A CA student by studies, A poet by passion, A teacher by hobby and a guide by nature. Simply I am, what I am !!
:- "AkS"
Related Articles
NASHA
चल अाज सब कुछ भुला के एक मज़ा सा करते हैं, तफ़रीकें मिटा के दिल-ओ-दिमाग़ को एक रज़ा सा करते हैं, दुनिया की सुद्ध में…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
हमारे नेता
हमारे नेता…. हम भी बहुत मजबूर हैं साहब लात मार घुसा सह रहे हैं साहब गाली सुबह शाम खा रहे हैं साहब क्योंकि हमारे नेता…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
nice!!
thaaaaaanq uuuuu _/\_ 🙂
Good
Good
बहुत खामोश रहते हो
दिल को छूती पंक्तियां