शिखर

शिखर

धरा, गगन, मृदुल पवन हिले तेरी एक हूंक से,
जो तू चले बिना रुके मंजिलें दिखे तुझे।

समुंद्र भी दे रास्ता जो तू कहे जब गूंज से,
चमकीला हो ये आसमान पसीने की तेरी बूंद से।

संगीतमय सारा जहां स्वागत करें भीना पवन,
धरती भरे अभिमान की हुंकार तुझे देखकर।

हिम्मत है गर आगे निकल तू जीत ले सारा जहां,
तेरी चमक से रोशन जहां पाले जो खुद से तू शिखर।

निमिषा सिंघल

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