सबकी कदर कर ले
बरस ना जाये फिर नैना , तू दिल मे कैद कही वो अब्र कर ले..
तो क्या हुआ , अगर कुछ ख्वाईसे पूरी ना हुई तेरी ….
तू अधूरी ख्वाईसों संग पूरा ये सफ़र कर ले…
रिश्तो की रस्में दिल से निभा .
शामिल उनकी हर ख़बर में , अपनी ख़बर कर ले…
जीते ज़ी का हैं सब झमेला …
तू क़दरदान बन , सबकी कदर कर ले…..
खामोश लफ्ज़ो में छिपी हैँ एक ख़ुशी …..
तू वो ख़ुशी महसूस करने , थोड़ा सब्र कर ले…
आगे का सफ़र थोड़ा तन्हा कटेगा…
इत्मीनान से कटे , तो थोड़ी फ़िक्र कर ले…..
पता हैं क़ायनात को तेरे साग़र – ए – इश्क़ का …..
तू इज़हार करने , बेताब दिल की एक – एक लहर कर ले….
अकेलेपन की चिंगारी दे रही है दस्तक ” पंकजोम प्रेम “….
इसके आग बनने से पहले , महफूज़ उसके साथ का नगर कर ले .
आगे का सफ़र थोड़ा तन्हा कटेगा…
इत्मीनान से कटे , तो थोड़ी फ़िक्र कर ले…..bahut khoob kaha aapne
nice
Sukkriyaaa sumit ji n anupriya ji…
bahut achi kavita…hirday shaparshi
no words to express my feelings for the poem…really great!
Sukkriyaa anjali ji n panna bhai
आगे का सफ़र थोड़ा तन्हा कटेगा…
इत्मीनान से कटे , तो थोड़ी फ़िक्र कर ले
वाह वाह
Nice thought