” हाल – ए – दिल “
देखकर उसकी मुस्कान , ख़ुशी से भर जाता हूँ , मैं …..
उसकी एक झलक पाने ….
कुछ भी कर जाता हूँ , मैं…..
वो क्या जानें , मेरा हाल – ए – दिल ..
उसे मायूस देख …..
ग़ुलाब की पत्तियों की तरह बिखर जाता हूँ , मैं…..
पंकजोम ” प्रेम “
देखकर उसकी मुस्कान , ख़ुशी से भर जाता हूँ , मैं …..
उसकी एक झलक पाने ….
कुछ भी कर जाता हूँ , मैं…..
वो क्या जानें , मेरा हाल – ए – दिल ..
उसे मायूस देख …..
ग़ुलाब की पत्तियों की तरह बिखर जाता हूँ , मैं…..
पंकजोम ” प्रेम “
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bahut khoob……हाल-ए-दिल न पूछिए, हाल-ए-दिल अज़ीज़ हैं !!
Shi ajmaya….ankit bhai
🙂 🙂
kya kahne..लाजबाव
Tnx bde bhai..
Good
ग़ुलाब की पत्तियों की तरह बिखर जाता हूँ , मैं…
Very nice
बहुत ही उम्दा
वाह क्या उपागम