ज़िन्दगी का खेल
तेरा डूबना मुश्किल था “राही” मगर,
क्या करते जब दूर तक साहिल नहीं था,
कहाँ कब किससे गुफ्तगू करते “राही”,
जब दूर तलक कोई सफर में मुसाफिर नहीं था,
सबसे ज्यादा उसके करीब था “राही” मगर,
शायद वो तुमसे मुखातिब नहीं था,
ज़माने से अनजान थी “राही” तेरी राहें मगर,
तू लोगों की नज़र में अंजाना नहीं था,
वो जो टूट गया “राही” आइना था मगर,
सच ये है के वो कोई दिल नहीं था,
हम उस ज़िन्दगी की शतरंज की बिसात हैं “राही”,
जहाँ खेल तो था मगर कोई पक्का नियम नहीं था॥
राही (अंजाना)
wah,..bahut khoob
Thanks
Very nice
बहुत सुंदर
वाह वाह
वाह क्या बात है