फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

आतंकी की महिमा मंडित

मंदिर और शिवाले खंडित

पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी

बोटी चाट रहे हैं पंडित

भ्रष्टों को मिलती है गोदी

देशभक्त होते हैं दंडित

सत्ता का हर इक दलाल बन बैठा ससुर जिहादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

 

ईद खून का खेल हो गयी

हत्या रेलमपेल हो गयी

होली और दिवाली पर

हावी बढ़ती विषबेल हो गयी

दोषी घूम रहे हैं बाहर

निर्दोषों को जेल हो गयी

जुल्म ढह रहा है सब पर ही खास वर्ग आबादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ————————–

 

नैतिकता का पतन हो रहा

जिससे घायल वतन हो रहा

और सियासत के दल्लों का

उद्दंडी  से जतन हो रहा

कंस वंश की करतूतों पर

मोहित मोहन मदन हो रहा

विद्यालय में शंखनाद है भारत की बरबादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ———————

 

फूहड़ता सब पर है भारी

चाहे नर हो या हो नारी

स्नेह सनातन का भूले हैं

पश्चिम प्रीत हुई अति प्यारी

बच्चे बूढे हवस में डूबे

सबकी टपक रही है लारी

नंग धड़ंग बदन उर मन है अनुगामी उन्मादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ———————–

 

आरक्षण पर होते दंगे

अफसर भी बनते भिख्मंगे

सहनशीलता नहीँ किसी में

बात-बात पर होते पंगे

ऊँची शान, नाक वाले भी

देखो नाच रहे हैं नंगे

खुला समर्थन यहाँ हो रहा है अलगाववादी का

फ़िर बतलाओ के जश्न मनाऊँ ——————

 

प्याज टमाटर जब हों महँगे

ख़बरंडी के उठते लंहगे

किसको फिक्र सर्वहारा की

सबने दिखा दिये हैं ठहगे

सस्ते सूखे की सौदा में

मरता तो सब करते घैघै

स्वर्णउगाहक भोग करे नौकरशाहों की लादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ———————–

 

अँग्रेजी कानून चल रहे

आस्तीन में साँप पल रहे

नेहरू एडविना के अब तक

भारत माँ को पाप खल रहे

इशरत मेनन अफजल और

बटाला पर सब आँख मल रहे

संसद में बैठे आतंकी पहन के चोला खादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ———————–

 

जो बनकर चट्टान खड़ा है

सरहद सीना तान अड़ा है

जिसको जाति धर्म ना कोई

मातृभूमि का मान बड़ा है

दोष आज दुष्कर्मों का

उसके सर इक शैतान मढा है

दर्द मिला है उसको कितना शब्दों की आजादी का

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ ——————–

 

कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”

9675426080

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