अनमोल सा खजाना
वो नन्ही नन्ही आंखें मुझे निहारती रहती हैं
वो छोटे छोटे हाथों की शरारत ,
और होठों की चिल्लाहट ,
मुझे बुलाती रहती है ।
अब कितना सबर करूं? कि वो मुझे ;
कब पापा कहकर पुकारे,
मेरे अंदर की ये खुशियां मुझे जगाती रहती है!
मेरे अंदर की ये खुशियां मुझे जगाती रहती है।
खूब
🙏🙏🙏
nice
Thank you 😊🙏
Nice lines
धन्यवाद जी
सुन्दर
🙏
Nice
🙏
‘नन्ही नन्ही आंखें’ ‘छोटे छोटे हाथों’ जैसे सुंदर शब्द युग्मों का प्रयोग हुआ है, वात्सल्य की सुंदर फुहार है
वात्सल्य रस का तथा पुनरुक्ति अलंकार का सुंदर प्रयोग