*अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा*

नए वर्ष की नई भोर है
स्वर्णिम-उजियारा चहुं ओर है
चेहरे चमके बगिया महकी
ओस सुबह की फिर से चमकी
उपवन में फिर फूल खिलेंगे
बिछड़े दिल भी आज मिलेंगे
सुंदर है कुदरत की चित्रकारी
क्या जंगल क्या पर्वतों की बर्फबारी
सागर की लहरें भी प्यारी
करती मीठा शोर है
स्वर्णिम उजियारा चहुं ओर है
है उल्लासित जग सारा
दूर होगा सब अंधियारा
खुशियों का लाएगा पिटारा
अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा
______✍️गीता

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Responses

  1. है उल्लासित जग सारा
    दूर होगा सब अंधियारा
    खुशियों का लाएगा पिटारा
    अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा”
    —– बहुत सुन्दर रचना, उम्दा शिल्प, बेहतरीन काव्य सौष्ठव है गीता जी, लेखनी में निरंतर प्रखरता। वाह

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