Categories: मुक्तक
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
हाँ मैंने उसको रोका था..
‘हाँ मैंने उसको रोका था, फिर भी वो चौखट लाँघ गई.. जैसे बस जागने वाले तक, हो इस मुर्गे की बाँग गई.. बाकी सब निष्फल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कल किसने देखा कल आये या ना आये
कल किसने देखा कल आये या ना आये आज की तू परवाह कर ले कही यह भी चला ना जाये देख परायी चुपड़ी तेरा मन…
कल किसने देखा कल आये या ना आये
जीवन संदेश कल किसने देखा कल आये या ना आये आज की तू परवाह कर ले कही यह भी चला न जाये देख दुनिया की…
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