इंसान से परमात्मा
कोई वजूद नहीं था तुम्हारा
मेरे बिना..
यूंँ ही गुमसुम बैठे रहते थे..
मैंने ही आकर तुम्हारी
जिंदगी में रंग भरे
होठों को मुस्कुराना सिखाया,
हँसना सिखाया, रोना सिखाया।
मेरी ही मोहब्बत ने तुम्हें
इंसान से परमात्मा बनाया।
कोई वजूद नहीं था तुम्हारा
मेरे बिना..
यूंँ ही गुमसुम बैठे रहते थे..
मैंने ही आकर तुम्हारी
जिंदगी में रंग भरे
होठों को मुस्कुराना सिखाया,
हँसना सिखाया, रोना सिखाया।
मेरी ही मोहब्बत ने तुम्हें
इंसान से परमात्मा बनाया।
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बेहतर खयाल बेहद सरल सहज अभिव्यक्ति
Thanks
अतिसुन्दर
🙏🙏
बहुत ही बेहतरीन
🙏
Atisunder
धन्यवाद
सुन्दर भाव
Thanks
बहुत सुन्दर भाव है
अच्छा लिखती हो
🙏🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
🙏🙏
बहुत खूब
🙏🙏
अतिसुंदर