“कभी यूं भी आ”!!

गज़ल =”कभी यूं भी आ”
——————————–
कभी यूं भी आ मेरी आंख में
मेरी नजर को खबर ना हो,
मुझे एक रात नवाज दे कि
फिर ‘शहर'(सुबह) ना।

अंशुमाली में तेरी ही आरजू रहती है
मिल जाए जन्नत की उम्र हुकूमत,
फिर भी तेरी ही आरजू रहती है।
कभी यूं भी आ मेरी आंख में,
मेरे अपनों को खबर ना हो।
मुझे एक रात नवाज दे,
कि फिर शहर (सुबह) ना।

दास्तान ए मोहब्बत जब भी
सुनाती हूं किसी को,
सबकी आंखों में एक चमक
दिखाई देती है।
कोई देख ना ले तुझे मेरी आंखों में,
बस यही बात खटकती है।

कभी यूं भी आ मेरी आंख में कि,
मेरे सपनों को खबर ना हो।
मुझे एक रात नवाज दे कि,
फिर शहर (सुबह) ना हो।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close