कितनी कशिश थी..

कितनी कशिश थी,
उनकी मासूमियत में।
भूल जाते थे सारा जहां।
जो बदल गए अब,
एक तूफान के बाद।
अब न झलक मिलती है,
ना निशान दिखते हैं।..

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Responses

  1. दिल को परखो चेहरे को परखे तो क्या परखे।
    यही चेहरे ने लाखों को लूटा अब तुम समझे।।

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