कुछ नहीं
हमें आता जाता कुछ भी नहीं,
सिर्फ शब्दों में खेल रहा हूं|
परिणाम का हमें कुछ पता नहीं,
मीठा खट्टा बोल रहा हूं|
शब्द आन मान शान हैं,
शब्द शब्द वेदी बाण है|
शब्द राजाओं की तलवार यदि,
भिखारियों की ढाल और पहचान है|
शब्द सिंहासन दे सकता है,
शब्द ही सब कुछ ले सकता है|
बनो गवार ज्ञानी चाहे,
शब्द ही जान ले दे सकता है|
मां के शब्दों में संस्कार भरा है,
पापा के शब्दों में प्यार भरा है|
बढ़ा हुआ जब लाल वहीं,
देखो बेटे के शब्दों में जहर भरा है|
करो निरीक्षण उन्नत खातिर,
मान प्रतिष्ठा वैभव खातिर|
कुल कुल की लज्जा,
शब्द सुधारों परिवार के खातिर|
ऋषि कुमार “प्रभाकर”
बहुत सुंदर प्रस्तुति
अतिसुंदर अभिव्यक्ति
वाह बहुत खूब
लाजवाब
मां के शब्दों में संस्कार भरा है,
पापा के शब्दों में प्यार भरा है|
बढ़ा हुआ जब लाल वहीं,
देखो बेटे के शब्दों में जहर भरा है|
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ है, बहुत अच्छा भाव है आपका, थोड़ा सा शुरुआत में हमें की जगह मैं आ जाता तो बहुत सुंदर तालमेल हो जाता। वैसे आपकी भाषा की लय और तारतम्यता अतिसुन्दर है।
Tq🙏
सुझाव के लिए दिल से धन्यवाद🙏