खेल तो सब खेल सकता है ।
खेल तो सब खेल सकता है ।
मगर ब्रह्मचारी कोई विरला ही हो सकता है ।।
ब्रह्मचारी का मतलब ये नहीं कि वो शादी ना करें ।
बल्कि ब्रह्मचारी का मतलब
ये हैःकि वो इन्द्रियों का सदा स्वामी बना रहें ।।1।।
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जिनकी इन्द्रियाँ शान्त होती
उन्हें परम सुख का एहसास होता
ब्रह्मचारी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं होता,
लाखों-करोड़ों में कोई एक होता ।।2।।
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वीर्य का सही दिशा निर्देशक करने वाला योगी कहलाता है ।
जो नर वीर्य को ऐसे-तैसे नाश करते वो भोगी कहलाता है ।।
एक को परम आनंद मिलता है, एक जीवन भर रोता रहता है ।
यही सच है, झूठ कौन कह सकता है खूद से ।।3।।
जय श्री सीताराम ।।
बहुत खूब
बहुत सुंदर सृजन
Brahmachari ki bahut hi Sundar paribhasha di hai aapane bahut hi Khubsurat Sahitya sarjan
सुंदर भाव।
बहुत सुंदर रचना
बहुत खूब