गजल- इस पर या उस पार
गजल – इस पार या उस पार |
जो चाहो वो मिल जाये ऐसा होता नहीं |
हार कर भी कोई लड़ता मगर रोता नहीं |
मिल जाती मंजिल यूं ही पा लेते सभी |
रखता यकीन हाथो मौका कोई खोता नहीं |
लगाना इल्जाम आसान होता गैरो पर |
झांक लेता खुद मे परेशान होता नहीं |
गिर गए खा कर ठोकर तो फिर उठो |
पाकर लेता दम कोई मगर सोता नहीं |
आये आंधियाँ तूफान जितनी आने दो |
तुमसे बड़ा नहीं कोई मगर छोटा नहीं |
फैसला इस पार या उस पार होने दो |
हो हौसला बुलंद परेसां कोई होता नहीं |
डूबोगे या उबरोगे रखो यकीन कूद जाओ |
दम जिसके बाजुओ दरिया डूबोता नही |
आने दो डर को थोड़ा करीब आने दो |
गुजर जाता वक्त रंग अपने भिंगोता नहीं |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो, झारखंड,मोब- 9955509286
आने दो डर को थोड़ा करीब आने दो |
गुजर जाता वक्त रंग अपने भिंगोता नहीं |
—— बहुत सुंदर पंक्तियाँ। बेहतरीन अभिव्यक्ति। बहुत खूब
haardik aabhaar apka pandey ji
बहुत सुंदर
pandit ji aabhaar apkaa
जीवन की सच्चाइयों को बयान करती हुई बहुत सुंदर ग़ज़ल,उत्तम प्रस्तुति
dil se abhar apka geeta ji
haardik aabhaar apka pandey ji
गजल – इस पार या उस पार |
जो चाहो वो मिल जाये ऐसा होता नहीं |
हार कर भी कोई लड़ता मगर रोता नहीं |
मिल जाती मंजिल यूं ही पा लेते सभी |
रखता यकीन हाथो मौका कोई खोता नहीं..
मेहनत पर सुंदर बात कही है
जीवन के विभिन्न आयामों के दर्शन करती हुई रचना