गजल
ए दोस्त मत घबराना कभी मेरे परछाईं से भी,
तेरा नाम हम लब तक लाया नहीं करते।
कोई खेल नहीं है इश्क या इबादत,
ये बेशकीमती जज्बात है यू जाया नहीं करते।
एक बार पलक उठाए तेरे दिल में उतर गए,
खुदा जानता है
अब किसी महफिल में पर्दा उठाया नहीं करते।
कैद में रहते रहते जो अपना हुनर खो दे,
ऐसे परिदे को कभी भी
पिंजरा खोल कर हम उड़ाया नहीं करते।
Bahut khub
Thank you di
Good
Thank you sir
वाह जी वाह
धन्यवाद
धन्यवाद
Sunder
Thank you di
Good
Thank you di
बहुत खूब
Thank you sir
Wah
वाह रे वाह