गीता
गीता का सार जिसने भी समझ लिया
संसार में उसी ने औरों से कुछ अलग किया
तेरा मेरा अपना पराया माया मोह से जो दूर हुआ
उसी को मिला मोक्ष का द्वार
वही हर आंखों का नूर हुआ
तुम क्यों खिलखिलाते हो
क्यों उदास होते हो
ना तुम कुछ लेकर आए
जो यहां खोते हो
हंसना है तो दूसरों की खुशियों में
शामिल हो जाओ
दूसरों की पीड़ा अपनी समझ कर
उनके काम आओ
तुम दूसरों के दूसरे तुम्हारे
जब काम आने लगेंगे
कोई नहीं कह सकता कि
गीता को समझने में जमाने लगेंगे
मैं कितना खुश नसीब हूं
मेरे घर में गीता वास करती है
परिवार सुखमय रहे शायद
इसीलिए ही उपवास करती है
मैं दूसरों की क्या कहूं
गीता को समझने में हमें भी जमाने लगे
अब ज्ञान गीता का हमको मिल गया है
तो लगता है कि मेरे हाथ जैसे खजाने लगे
वीरेंद्र सेन प्रयागराज
NICE
Thanks
अतिसुंदर
धन्यवाद
सुन्दर
Very nice
Sunder
अतिसुन्दर