जब तुम दूर होते हो

जब तुम दूर होते हो
तो ये एहसास होता है
कर लूं आंख बंद अपनी,
तू मेरे पास होता है
आंख से अश्क आते हैं,
मगर लब मुस्कुराते हैं
अकेली जब मैं होती हूं,
नभ में घूम आती हूं
तुम्हारी यादें मिलती हैं राहों में,
उन्हें मैं चूम आती हूं
तेरा जाना मेरी आंखों में,
अधूरे ख्वाब बुनता है
फ़िर भी ना जाने क्यूं,
ये मन तुम्हें ही चुनता है
कहीं दूर से लाती है,
पवन जब महक तुम्हारी
चहक जाती है दिल की
यह वाटिका हमारी
तुम्हारी याद में आंसू,
रात को बर्फ बनते हैं
सुबह की गुनगुनी धूप में,
फ़िर वो पिंघलते हैं
इस तरह मैं अपने मन को
आबाद रखती हूं
कि रात और दिन
तुम्हें मैं याद करती हूं
_____✍️गीता

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Responses

  1. जब तुम दूर होते हो
    तो ये एहसास होता है
    कर लूं आंख बंद अपनी,
    तू मेरे पास होता है’
    स्नेहिल काव्यसौष्ठव से परिपूर्ण रचना। बोधगम्य भाषा, बहुत खूब

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