भाई दूज स्पेशल – “जिंदगी से रोज़ हार जाती हूँ मैं”
भाई दूज स्पेशल:-💟💟
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जब मैं छोटी थी
तो तू ही था
जो उंगली पकड़ता था मेरी
गिरती थी तो
तू संभाल लेता था
हाँ, आज थोड़ी लम्बाई बढ़ गई है
पर बुद्धी आज भी
बच्चों जैसी है
और भाई मैं चाहें जितनी
बड़ी हो जाऊं
तुझसे तो उतनी ही छोटी रहूंगी
जब मैं गलती करूं तो
डाट लेना पर नाराज मत होना
भाई तुझे छोंड़कर कहीं
नहीं जाऊंगी
मेरी शादी कभी मत करना
मैं तेरे साथ ही रहूंगी
तू बड़ा है पर फिर भी
रोज लड़ूगी
एक तू ही तो है जिससे लड़कर
जीत जाती हूँ मैं
बाकी तो जिंदगी से रोज ही
लड़कर हार जाती हूँ मैं…
बड़े भाई से लाड जताती हुई बहुत ही प्यारी रचना
Tq
Very good
Tq
भाई-बहन का बहुत खूबसूरत चित्रण
धन्यवाद
बहुत खूब, बहुत सुंदर, कवि प्रज्ञा जी की सुन्दर रचना
धन्यवाद भाई
अतिसुंदर