Categories: शेर-ओ-शायरी
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वाह वाह, बहुत खूब
हार्दिक धन्यवाद सर 🙏 शुभ रात्रि
पत्थर भी हमें एहसास सिखा गया,
लफ्जों में सही पर आंख दिखा गया|
हे मानुष ! तुम मानुष हो संभल के चलना,
वक्त मिले तो उसे उखाड़ कर ,उसे ही सबक सिखा देना||
वह निर्जीव निर्दई है,
वह कई राहियो का हत्यारा है,
सबक ले लो ए जगत मुसाफिर,
यह खुशियों का अंगारा है,||
बहुत ही अच्छे वाक्य आपने कहा है
बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ऋषि जी
हार्दिक धन्यवाद 🙏
बहुत खूब
धन्यवाद 🙏
Nice
वाह क्या बात, कवियों द्वारा एक दूसरे की कविताओं का सच्चा विश्लेषण किया जा रहा है, आनन्द की अनुभूति हो रही है।
पत्थर भी बोल गया,
बातों बातों में तौल गया।
कुछ राज़ अनकहे रहे,
कुछ राज़ वो खोल गया।……..
बहुत सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुंदर मैडमजी
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह
🙏🙏
Awesome
Thank you
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद जी
बहुत सुंदर