माना कुछ बुराईयां…..

माना कुछ बुराईयां है मुझमें,
मगर सारी अच्छाईयां नहीं है तुझमें,
फर्क इतना-सा ,
मैं हुबहु कहता,
और तू बनाकर।

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Responses

  1. दशरथ के तरकस से
    यह शब्दबेदी बाण हो लाए|
    जो शब्द सुन कर तीर चलाए
    वह दशरथ की कला हो लाए|
    कवियों की पहचान यही है,
    मर जाएं बीन सत्य कहे ना रह पाए||
    ✍✍✍✍👌👌👌👌👌👌

    1. बहुत सुंदर ऋषि जी
      मेरी रचना “चश्में वाले नेता जी” उसको आज प्रकाशित करूंगा
      सच को अपने विचारो में प्रकट करने की कोशिश की है उसमें भी।🙏🙏

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