जीवन:- अभिशाप है या वरदान !!
यह जीवन है वरदान कभी
यह जीवन है अभिशाप कभी…
मिलते हैं सच्चे मित्र यहाँ
तो बन जाते हैं शत्रु कभी…
प्रज्ञा’ का जीवन बेमोल रहा
तो बन बैठा उपहार कभी…
बस रह जाता है प्रेम यहाँ
सब खो जाता है यार यहीं…
हे जड़बुद्धी ! मानव तू सुन
है प्रेम का कोई मोल नहीं…
कल जाने क्या हो यहाँ यार !
तू धो दे मन के दाग अभीसभी…
By Pragya Shukla’ Sitapur
आपने बहुत ही सरल भाषा में जड़बुद्धी को समझा दिया। वाह 🙏
बहुत धन्यवाद
आपको पसंद आई
मेरी मेहनत सफल रही
कविता को बारीकी से समझने के लिए
जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करती हुई बहुत सुन्दर रचना।
आपके कमेंट से हौसला बढ़ता है धन्यवाद