“डर लगता है!!”
ღღ__जब दर्द भी दर्द ना दे पाए, तो डर लगता है;
आशिक़ी हद से गुज़र जाये, तो डर लगता है!!
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डर लगता है अक्सर, किसी के पास आने से;
पास आके वो गुज़र जाये, तो डर लगता है!!
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कुछ ख्वाहिशें बेशक़, मर जाएँ तो ही बेहतर है;
कुछ ज़रूरतें यूँ ही, मर जाएँ तो डर लगता है!!
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इक बार कहा था उसने, आशिक़ी बे-मतलब है;
ये मतलब गर समझ आ जाये, तो डर लगता है!!
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कोई ऐसा भी घाव होगा, जिससे मरने में हो मज़ा;
जो वही घाव भर जाए ‘अक्स’, तो डर लगता है!!…..#अक्स
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Nice
thank uuuuuu
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्
ग़ज़ल में शेर के दोनों मिसरों में है या रदीफ़ के किसी अक्षर स्वर शब्द आदि की बन्दिस नही कर सकते । तकाबुले रदीफ़ ऐब माना जाता है
shukriya Rahul ji……..maafi chahunga bt…..hme bahar ya meter wagairah ki bilkul b jankari ni h….iss wajah se ye galtiya bht hoti h…….:(