Categories: मुक्तक
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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हम उस देश के वासी है ।।
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दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
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True
🙏 धन्यवाद जी! बिल्कुल , मगर समझने को कोई तैयार नहीं हैं।
👍
🙏
अत्यंत सच कहा है मानुष सर आपने, वाह, बेहतरीन
सादर आभार सर 🙏
Very true
बहुत बहुत धन्यवाद मैडम जी 🙏
सच कहा
सादर धन्यवाद
सुंदर
सादर धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद
Satya vachan
सादर आभार