तुझमें रब दिखता है….!!
दिल में छुपा एहसास हो तुम
ऱब से भी ज्यादा खास हो तुम..
हमारे बीच है मीलों तक की दूरी
पर साँसों से भी ज्यादा पास हो तुम..
कड़वा है ये सारा जग हमदम
पर ‘चाय की मीठी प्यास’ तुम..
धड़कन तुम हो, दिल भी तुम हो
मेरे हिस्से की साँस हो तुम..
छोंड़ गया है जग सारा मुझको
मेरी आख़री आस हो तुम..
तुझमें ही रब दिखता मुझको !
मेरा अटूट विश्वास हो तुम..
अतिसुंदर भाव
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर से आपने कविता की पंक्तियों को सजाया है। जरा एक पंक्ति में “हो”शब्द की कमी हो गई है। जैसे– पर “चाय की मीठी प्यास – हो – तूम।” हो ” शब्द की कमी थी। रचना बहुत ही सुन्दर भाव में आपने प्रेषित की है।
सही कहा सर..
जल्दबाजी में यह पंक्ति मैं ने बदल दी थी और हो’ छूट गया…धन्यवाद
“हमारे बीच है मीलों तक की दूरी
पर साँसों से भी ज्यादा पास हो तुम..”
जब मन में प्रेम हो तो मीलों की दूरी मायने नहीं रखती है,
श्रृंगार रस में वियोग की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर रचना ।
धन्यवाद दी सुंदर समीक्षा के लिए
आपकी रचना पढ़ के दिल खुश हुआ 🙂🙂👏👌✍👌✍👌
धन्यवाद
वाह वाह वाह वाह!!
रुमानी कविता..अति उत्तम एवं भावुक रचना..
हर दृष्टि से उच्चतम है
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