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बिगड़ना भी न इस कदर
बिगड़ना भी न इस कदर चाहिये, खुद को परखने की बस नजर चाहिये.. पन्ने अखबार के बेसब्री से बदल डाले, सनसनी सी कोई खबर –…
‘मातृभाषा एकमात्र विकल्प’
लेख:- ‘मातृभाषा एकमात्र विकल्प’ मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने के लिये भाषा का प्रयोग करता है। वह अपनी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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लेख जिस तरह से एक शिकारी जाल फैलाता है और उसके जाल में शिकार खुद व खुद आकर फंस जाता है, उसी तरह कलयुग के…
घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
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