” देश की आश “
देश की आश
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आशा है अब आज़ादी के
मैं सपने देख सकूंगा,
आशा है मै फिर से
प्यारा भारत देश बनूंगा|
आशा मेरे आँगन मे
राहत के सुमन महकेगें,
आशा है आने वाले कल
को”राम-राज्य” मै दूँगा||
आज़ाद हूँ मै यह सुन-सुन के
बस घुट-घुट के रोता हूँ
इस आज़ादी को कैसे कहूँ
किस हालत मे ढ़ोता हूँ
कलि-काल चक्र यूँ घूमा है
चहुँ ओर शोर आतंक का है
यूँ उग्र हुआ है उग्रवाद
दामन मे फंसा जो डंक सा है
सोने की चिड़िया था मै कभी
पर मेरे पर हैं काटे गए
ओढ़ा के कफन खुदगर्जी का
थोड़ा-थोड़ा दफनाते गए
मेरे ही हृदय के टुकड़ों ने
सुख चैन से मेरा विछोह किया
अपने ही उपवन मे भ्रमरों ने
है कलियों से विद्रोह किया
बनके दामन मे दाग लगे
ये भूख गरीबी बेकारी
ज़ागीर नही थी ये मेरी
पर अब है मेरी लाचारी
भाई-चारे के आँड़े में
अश्मत बहनो की लुटती है
भोली ममता के साए में
किस्मत माँओं की घुटती है
मेरे ही तन के कुछ हिस्से
मेरे ही लहू के प्यासे हैं
मेरी सन्तानो ने खुद ही
अपने घर लाशों से पाटे हैं
मैं “राम-रहीम-नानक-गौतम
के सपनो का प्रेम-सरोवर हूँ
तुम भूल गए हो फिर कैसे
कि मै तो एक धरोहर हूँ
हैं धन्य वो मेरे लाल जो
इस माटी का कर्ज चुकाते हैं
बनके मेरे दामन के प्रहरी
मेरी आन पे बलि-बलि जाते हैं
उनके ही बल पर है मेरा सिर
गर्व से अब तक तना हुआ
उनके ही चौड़े सीनो पर
अस्तित्व है मेरा बना हुआ
ज़श्न-ए-आज़ादी मनाने को
अब जब भी तिरंगा लहराना
खा लेना कसम उस आलम मे
गौरव है मेरा वापस लाना
उद्गार मेरे सब मानष जन
दिल के आँगन से मेटेंगे
प्रति-पल हो मुखागर ख्वाब मेरे
गलियों में हिन्द की गूँजेंगे
आशा है अब आज़ादी के
मैं सपने देख सकूंगा,
आशा है मै फिर से
प्यारा भारत देश बनूंगा|
आशा मेरे आँगन मे
राहत के सुमन महकेगें,
आशा है अवदान मै कल को
” राम-राज्य” ही दूँगा||
…अवदान शिवगढ़ी
२०/०८/२००१/लुधि.
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bahut khoob lika hai apane 🙂
जय हिंद