दोस्ती का नियम
दोस्तों से कुछ भी,
छिपाते नहीं हैं
यही दोस्ती का,
पहला नियम है
छिपाए जाएं गम, खुशी
गर दोस्तों से
फ़िर वो दोस्ती ही कैसी
ये तो नहीं, जानते हम हैं ..
*****✍️गीता
दोस्तों से कुछ भी,
छिपाते नहीं हैं
यही दोस्ती का,
पहला नियम है
छिपाए जाएं गम, खुशी
गर दोस्तों से
फ़िर वो दोस्ती ही कैसी
ये तो नहीं, जानते हम हैं ..
*****✍️गीता
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बहुत सुंदर, दोस्ती पर कवि कलम बिंदास भाव से आगे बढ़ी है। दो शब्द इस पर –
दीप अपनी प्रतिभा का
तुम कभी बुझने न देना,
यूँ ही रह बिंदास लिखना,
साहित्य सेवा खूब करना।
सादर अभिवादन
Thanks Allot Satish ji.
इस सुंदर और प्रेरक समीक्षा हेतु बहुत बहुत बहुत आभार सर 🙏
आपकी इन दो पंक्तियों ने मेरी कविता का मान ही बढ़ा दिया है।
एक कवि मित्र की इस सुंदर सलाह का हार्दिक स्वागत । आपकी यह ख़ूबसूरत सलाह मुझे जीवन पर्यन्त याद रहेगी और प्रेरणा भी देती रहेगी बहुत बहुत आभार, सादर अभिवादन
बहुत खूब वाह।
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
बहुत खूब, वाह
सादर धन्यवाद आपका कमला जी🙏
उत्तम शब्दावली व विषय जिसे कवि द्वारा और सहज बना दिया गया है जिसकी व्याख्या करना सिर्फ एक एहसास के सिवा कुछ नहीं…
आपकी इस बहुत ही ख़ूबसूरत समीक्षा हेतु हृदय तल से आभार कवि प्रज्ञा बहन । भावनाओं को समझने के लिए बहुत सारा धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
आप जैसे संवेदनशील दोस्त कम हैं
स्वार्थ के कारण सारे दोस्त विलग हैं