नारी हूँ मैं…!!
पापा की प्यारी हूँ मैं
फूलों की क्यारी हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…
अहिल्या हूँ मैं सीता हूँ मैं
पवित्र पावन गीता हूँ मैं
कभी शेरनी तो कभी चीता हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…
उम्मीदों का सावन हूँ मैं
नव सुतों का जीवन हूँ मैं
मनमोहिनी और मनभावन हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…
सृष्टि की वाहक हूँ मैं
कुटुंब की संचालक हूँ मैं
दैवीय आहट हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…
भावों की अनुपम माला हूँ मैं
कभी चंडी हूँ कभी ज्वाला हूँ मैं
प्रकृति की सुकोमल बाला हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…
नारी पर अतीव सुंदर रचना ।
Tq
बहुत खूब, अतिसुन्दर काव्य रचना
Tq
बहुत खूब
Thanks
अति सुंदर👌
Thanks