न दिखे
हमें मालूम होता अगर
उनकी आदत है रूठ जाने की
तो हम कभी परवाह ना करते
इस जमाने की ।
तोड़कर दुनिया की
सारी रस्में कसमें
चले आते तेरे पहलू में
दिल अपना रखने ।
अगर जिंदगी के सफर में
आप मेरे संग होते
तो इस तरह से मेरे ख्वाब
ना बेरंग होते ।
उन्हें तलाशने में हम
एक जिंदगी में सौ बार बिके
घूंघट की आड़ से
हर तरफ देखा उन्हें
किसी ओर भी ना दिखे।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज
प्रेम की उलझन भरी कहानी को कविता में ढालकर आपने हृदय के भावों से सजाया है एक शब्दों का चुनाव भी गम्भीरता से किया है जो आपके ज्ञान को दर्शाती हुई प्रतीत हो रही है
रचना की समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
सुन्दर रचना
धन्यवाद
आपकी कविता प्रेम रसपान करती है।
आभार
अतिसुंदर भाव