पहचान लेंगे
किंकणी न बाँधिये
पैरों में अपने,
बिना खन-खनाहट के
पहचान लेंगे।
कभी आजमा के
देख लीजियेगा,
तुन्हें बन्द आंखों से
पहचान लेंगे।
किंकणी न बाँधिये
पैरों में अपने,
बिना खन-खनाहट के
पहचान लेंगे।
कभी आजमा के
देख लीजियेगा,
तुन्हें बन्द आंखों से
पहचान लेंगे।
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Wow nice poem
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
प्रणाम
सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद सुमन जी
बहुत ही खूबसूरती से अभिव्यक्ति किया है भावों को।
कम शब्दों में मन के भाव बयां करना कोई आपकी कलम से सीखे।
……. सैल्यूट।
इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ। आपके द्वारा किया जा रहा उत्साहवर्धन बल प्रदान करता है। बहुत सारा धन्यवाद
सुंदर
आभार, शास्त्री जी
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिमा जी
Waah
धन्यवाद प्रज्ञा जी
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद