पहचान हमारी जिनसे है
हम जो भी हैं मात तात के बल पे हैं
जुङी बहुत-सी उम्मीदें हमारे कल से हैं
जन्मदाता ही नहीं, हमारी हर पहचान उनसे है
हमारी आजीविका, रूतवा, हर मुकाम उनसे है
रहते जहां उनकी दुनिया, जहान हमसे है
हम कहीं भी रहें, उनकी सुबह-शाम हमसे है
फ़ोन की घंटी, दरवाजे की आहट पर ध्यान
इज्ज़त, पैसा, दुआ, दान, धर्म, करम, अरमां
हर खुशी-गम हमसे है
Happy father’s day
बहुत खूब
Sadar dhanybad
यथार्थ रचना
Sadar dhanyabad
इसे कहते हैं विश्वास। बहुत सुंदर।
सादर आभार सर
वाह