Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हु एक शराबी शराब जानता हू कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू उतर जाती है ये सीनै में सुकून देने कुछ नहीं में…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कविता- कौन जानता था |
कविता- कौन जानता था | कर्मवीर होंगे बेचैन अपने घर कौन जानता था | राह निहारेंगे कब ताला खुलेगा कौन जानता था | आयेगा ऐसा…
बहुत खूब, सुन्दर अभिव्यक्ति
Thanks
बहुत उम्दा
Tq
बहुत ख़ूब हृदय स्पर्शी रचना
Thanks
अतिसुंदर