प्रेम
राहें हमारी मिलने के आसार नहीं हैं!
कैसे कहूँ तुम्हारा इंतजार नहीं है!!
मेरी हर दलील को ठुकरा चुका है ये!
इस दिल पे मेरा कोई इख्तियार नही है!!
ख़्वाबों में तुमसे रोज़ मुलाक़ात है मेरी!
अफसोस हक़ीकत में ही दीदार नहीं है!!
रूह के हर जर्रे में शामिल हो तुम ही तुम!
और कहते हो लकीरों में मेरी प्यार नहीं है!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
राहें हमारी मिलने के आसार नहीं हैं!
कैसे कहूँ तुम्हारा इंतजार नहीं है!!
मेरी हर दलील को ठुकरा चुका है ये!
इस दिल पे मेरा कोई इख्तियार नही है!!
बहुत ही रुमानी अन्दाज की कविता
जिसे पढ़ने में अन्त तक आन्नद आता रहा..
बहुत खूब
Jay ram jee ki