फर्क तो जरूर मिलता है।

तू शक्तिशाली!,मैं दलित !
तू स्वर्ण ! मैं नीच!
यह शब्द स्वार्थ में ,
तूने ही मुझे दिए।
तू मालिक, मैं दास,
तेरी विचारधारा में;
मेरा उपहास,
शोषण का खाता,
यहां हर रोज खुलता है,
अरे!कितना भी अनदेखा करो,
फर्क तो जरूर मिलता है।
जरा-सा खून का कतरा निकाल,
मेरा और अपना,
फिर देख!
मिला ,
मेरे वजूद के साथ अपना वजूद,
फर्क मिलेगा!
मगर नस्ल का नहीं ,
ना ही रूप का ,
हां! तेरी सोच के बीज का,
उच्च-नीच के बीच का,
भेदभाव चीखता,
तेरे अहम् में गुरुर लाजमी-सा
मिलता है !
फर्क तो जरूर मिलता है।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. प्रगतिवादी चिन्तन,शोषक और शोषित में हो रहे भेदभाव को प्रकट करने की सफल कोशिश
    बेहतरीन प्रस्तुति

  2. हे मानुष,
    तुम हर लिए मन की पीड़ा मेरी|
    सच लिखने से ना उब सके,
    धन्य है मानुष माया तेरी🙏🙏

    जितनी प्रशंसा करें कम है आपकी लेखनी को सलाम

    1. 🙏🙏🙏 बहुत बहुत धन्यवाद , ऋषि जी
      कभी कभी ये सच मुझको अपनो से दूर कर देता है
      फिर भी आदत बुरी चीज होती है
      इतना सम्मान देने के लिए दिल से अभिनंदन आपका 🙏

+

New Report

Close