Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार सब सर नवाते हैं, तेरे दर पर मेरे राम कोई तुझसे क्या माँगे, तुम किसी को क्या देते हो…
राम, राम, राम तु रटते जा
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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अहिल्या पत्थर बनायी जाती है —————******—————— करनी किसी की भी हो,सतायी नारी जाती है । हवस हो इन्द्र की,अहिल्या पत्थर बनायी जाती है ।। युग…
बहुत सुंदर भाव
बहुत सुंदर पंक्तियां
धन्यवाद प्रतिमा
सुंदर
Thanks
बनूं मैं जानकी तेरी
तू मेरा राम हो जाए।…
बहुत ही उच्च स्तरीय लेखन है आपका। सदैव यूं ही आगे बढ़ती रहें। इस लेखन को सैल्यूट।
बहुत आभार दी आपके आशीष के लिए
आप जब हौसला बढ़ाती हैं
मेरे मन में उतर जाती हैं
उम्र में मुझसे छोटी हो आशीष तो दूंगी ही।
बस, दुआ करो कि ये दुआ कुबूल हो जाए..
As u wish
बहुत खूब
आभार
पाठक के मानस पटल पर सीधे तौर पर अंकित हो सकने में सक्षम इस कविता में प्यार है, मनुहार है। और एक आदर्श स्थिति की स्थापना की गई है। कवि की जबरदस्त साहित्यिक क्षमता को प्रकट करती सुन्दर कविता है।
इतनी सुन्दर समीक्षा का अन्दाजा भी नही कर सकती थी
बहुत सुन्दर
Thanks
Tq