भुला दिया उसने..
‘मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने,
न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने..
दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?
मैंने पूछा तो कैसे सर हिला दिया उसने..
हमें भी खूब मिली आँसू पोंछने की सज़ा
हँसाया जिसको था अब तक, रुला दिया उसने..
गैर हाजिर है मेरे दिल से अब उम्मीद मेरी,
मुझे यकीं है के मुझको भुला दिया उसने..
– प्रयाग
मायने :
गैर हाजिर – उपलब्ध न होना
बहुत ख़ूब
बहुत शुक्रिया
मुकम्मल जहाँ, कहाँ नसीब में सबकी
उतना ही मिला करता
जितनी मर्ज़ी रब की
वाह शानदार पंक्तियाँ
ई
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर पंक्तियाँ, जितनी तारीफ की जाए कम है, वाह
शुक्रिया सर
Sunder
धन्यवाद जी
धन्यवाद आपका